झारखण्ड की चित्रकला,वाद्य यंत्र,भाषा एवं बोलियाँ:-
झारखण्ड की चित्रकला:-
- जादोपटिया शैली संथाल जनजाति की सर्वाधिक मशहूर लोक चित्रकला शैली है।
- जादोपटिया शैली के चित्रकार को संथाली भाषा में जादो कहा जाता है।
- सोहराय चित्र कला में पशुपति को सांढ़ की पीठ पर खड़ा चित्रित किया जाता है|
- जनजातियों की प्रसिद्ध स्थानीय चित्रकला शैली सोहराय, सोहराय पर्व से जुड़ी शैली है।
- सोहराय चित्रकला में जंगली जीव-जंतुओं, पक्षियों और पेड़-पौधों को उकेरा जाता है |
- बिरहोर जनजाति कोहबर चित्रकला में निपुण माने जाते हैं ।
- कोहबर कला में प्राकृतिक परिवेश, और स्त्री-पुरुष संबंधों के विविध पक्षों का चित्रण होता है ।
- कोहबर चित्रकारी विवाह के मौसम में की जाती है ।
- कोहबर चित्रकारी में देवी का विशेष चित्रण मिलता है।
- कोहबर चित्रकारी में घर आंगन में ज्यामीतिय आकृतियों में पेड़-पौधों, पत्तों आदि का चित्रण किया जाता है|
झारखण्ड का वाद्य यंत्र:-
- केन्दरी, सारंगी, भूआंग, एकतारा/गुपी तथा टुईला तंतु वाद्य हैं|
- बांसुरी, सानाई, सिंगा, निशान, शंख तथा मदनभेरी सुषिर वाद्य हैं ।
- मांदर, ढोल, ढाक, धमसा, नगाड़ा, कारहा, चांगु, ढप, तासा, डमरू, खंजरी, विषयक ढाकी तथा जुड़ी-नागरा अवनद्ध वाद्य हैं ।
- झाल, झांझ, करताल, घंटा, थाला, मंदिरा तथा काठी का संबंध घन वाद्य से है |
- झारखण्ड का प्राचीनतम एवं सर्वाधिक लोकप्रिय वाद्य मांदर है।
- मांदर पार्श्वमुखी वाद्य है ।
- केंदरी वाद्य को ‘झारखण्डी वायलिन’ के नाम से जाना जाता है।
- झारखण्ड का सर्वाधिक लोकप्रिय सुषिर वाद्य बांसुरी है ।
- केंदरी एवं भूआंग संथालों का प्रिय वाद्य है ।
- धमसा वाद्य की आकृति कड़ाही जैसी होती है ।
- छऊ नृत्य में धमसा की आवाज से युद्ध और सैनिक प्रमाण जैसे दृश्यों को साकार किया जाता है।
- डोंगी बांस से सबसे अच्छी बांसुरी बनायी जाती है।
- भैंस की सींग से सींगा वाद्य बनाया जाता है।
- सानाई मंगल वाद्य है।
झारखण्ड का भाषा एवं बोलियाँ:-
- भाषा के आधार पर झारखण्ड की जनजातियों को दो वर्गों में रखा गया है-ऑस्ट्रिक (मुंडा- भाषा) और द्रविड़ियन ।
- द्रविड़ भाषा वर्ग में कुडुख (उरांव) और मालतो (सौरिया एवं माल पहाड़िया) भाषाएँ आती हैं ।
- अन्य सभी भाषा बोली को आस्ट्रिक भाषा (मुंडा भाषा) में शामिल किया गया है |
- खड़िया, बिरहोर, भूमिज, करमाली, महली, बिरजिया तथा कोरवा बोलियों का संबंध मुंडारी से है|
- संथाली भाषा मुंडा भाषा उपवर्ग की भाषा है कुडख उरांव जनजाति की भाषा है ।
- झारखण्ड की जनजाती आबादी में आस्ट्रिक वर्ग की भाषा का सर्वाधिक प्रचलन है।
- झारखण्ड में हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषा संथाली है|
- मालतो भाषा का संबंध सौरिया पहाड़िया एवं माल पहाड़िया जनजाति से है।
- मुंडा आस्ट्रिक भाषा परिवार से संबंधित है।
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