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मुगल काल में झारखण्ड:-

मुगल-काल-में-झारखण्ड 
  • मुगल काल में झारखण्ड को खोखरा के नाम से जाना जाता था ।
  • बाबर एवं हुमायूँ के शासनकाल में झारखण्ड मुगल विरोधी अफगानों का आश्रय स्थल था।
  • नासीर खाँ लुहानी से झारखण्ड अधिक प्रभावित था ।
  • शेरशाह ने मुगलों के विरूद्ध अपने संघर्ष में यहाँ के जंगलों का बहुलता के साथ उपयोग किया था ।
  • खानदेश के आदिलशाह द्वितीय को इतिहासकारों ने ‘झारखण्डी सुल्तान’ की उपाधि दी है।
  • झारखण्ड में मुस्लिमों का प्रवेश मार्ग प्रशस्त करने का श्रेय शेरशाह को जाता है।
  • शेरशाह ने बंगाल पर अधिकार करने के क्रम में झारखण्ड के तेलियागढ़ी रास्ते का उपयोग किया था ।
  • 1538 ई. में शेरशाह ने अपने सेनापति ख्वास खाँ को महारथ चेरो के विरूद्ध सैनिक कारवाई के लिए भेजा था ।
  • हुमायूँ-शेरशाह संघर्ष के दौरान शेरशाह ने अपने अनेक अभियानों में झारखण्ड क्षेत्र का उपयोग किया था ।
  • अकबर के दरबारी इतिहासकार ‘अबुल फजल’ ने अपनी कृति अकबरनामा में एवं शम्स सिराज अफीफ झारखण्ड क्षेत्र को खोखरा शब्द से संबोधित किया है ।
  • झारखण्ड को अकबर ने सर्वप्रथम अपना करदाता प्रदेश बनाया ।
  • मुगल शासक अकबर ने 1585 ई. में झारखण्ड को अपना करदाता प्रदेश बनाया ।
  • अकबर ने 1585 ई. में शाहबाज खाँ के नेतृत्व में नागवंशी शासक मधुकर शाह के विरूद्ध विजय प्राप्त करने हेतु सेना भेजी थी।
  • 1592 ई. में अकबर के राजप्रतिनिधि मानसिंह ने झारखण्ड के राजमहल को बिहार एवं बंगाल की राजधानी बनाया ।
  • राजा मानसिंह को बिहार-झारखण्ड का सूबेदार 1589 में नियुक्त किया गया था ।
  • राजा मान सिंह ने पलामू के चेरो राजा भागवत राय को पराजित कर उसे मुगलों की अधीनता स्वीकार करने को विवश किया था।
  • भागवत राय को पराजित करके 54 हाथी अकबर के समक्ष पेश किया गया ।
  • झारखण्ड के राजा मधु सिंह ने उड़ीसा के अफगान शासक कुतलुग खाँ के विरूद्ध मुगलों के अभियान में मानसिंह का साथ दिया था।
  • सिंहभूम के पोरहाट वंश ने मुगलों की अधीनता 1591-92 ई. में स्वीकार की।
  • आइने अकबरी के अनुसार हजारीबाग के दो स्थान छै, और चम्पा परगने के रूप में सूबा बिहार में शामिल थे।
  • शाहबाज खाँ ने नागवंशी राजा मधुकर शाह को पराजित किया था।
  • मुगल शासक जहाँगीर के समय झारखण्ड पर मुगलों का अधिकार स्थापित हुआ।
  • जहाँगीर के समय खुखरा (झारखण्ड) प्रदेश का राज्यपाल इब्राहिम खाँ फतेह था ।
  • तुजुक-ए-जहाँगीरी के अनुसार जहाँगीर ने 1615-16 ई. में बिहार-झारखण्ड के सूबेदार इब्राहिम खाँ को खोखरा विजय के लिए भेजा।
  • जहाँगीर के समय शंख नदी हीरों के लिए प्रसिद्ध था।
  • इब्राहिम खाँ ने 1617 ई. में खुखरा के नागवंशी राजा दुर्जनशाह को हरा कर शंख नदी पर कब्जा किया ।
  • झारखण्ड के नागवंशी राजा दुर्जनशाह को गिरफ्तार ग्वालियर में करके रखा गया था ।
  • नागवंशी राजा दुर्जनशाह 12 वर्षों तक ग्वालियर के किले में बंद रहा। बाद में जहांगीर ने उसके राज्य को पट्टा के रूप में 6000 रूपये सलाना पर दे दिया और उसे ‘शाही’ की पदवी प्रदान की गयी |
  • नागवंशी राजा दुर्जनशाह हीरों का सबसे बड़ा पारखी था ।
  • जहाँगीर ने नागवंशी राजा दुर्जनशाह को शाह की उपाधि प्रदान की थी ।
  • चेरो राजा अनन्त राय एवं सहबल राय जहाँगीर के समकालीन थे|
  • चेरो राजा सहबल राय को पराजित कर दिल्ली लाया गया जहाँ शेर के साथ लड़ाकर उसे मार डाला गया ।
  • शाहजहाँ के दूसरे पुत्र शाहशुजा ने बंगाल का सूबेदार बनने के पश्चात झारखण्ड के अधिकार करने तथा चेरो राजा
  • राजमहल को अपनी राजधानी बनाया ।
  • शाहजहाँ ने बिहार के सूबेदार शाईस्ता खाँ को पलामू पर प्रताप राय को मार भगाने का आदेश दिया था ।
  • शाईस्ता खाँ का पलामू पर आक्रमण 1642 ई. में हुआ।
  • शाईस्ता खाँ को चेरो राजा प्रताप राय ने नजराने के रूप में 80,000 रुपये दिए ।
  • जर्बदस्त खाँ का पलामू पर आक्रमण 1643 ई. में हुआ।
  • 1644 ई. की संधि के अनुसार चेरो राजा प्रताप राय को मुगलों की मनसबदारी दी गयी ।
  • औरंगजेब के शासनकाल में नागवंशी राजा रघुनाथ शाह था ।
  • औरंगजेब के शासन काल में चेरो राजा मेदिनी राय था ।
  • चेरो राजा मेदिनी राय को ‘न्यासी राजा’ कहा गया है ।
  • मेदिनी राय के शासन काल को ‘चेरो शासन के स्वर्ण युग’ के रूप में जाना जाता है |
  • चेरो परम्परा के अनुसार पलामू के चेरो राजा मेदिनी राय ने रघुनाथ शाह के समय दोइसा पर आक्रमण किया था ।
  • चेरो राजा मेदिनी राय ने दोइसा को तहस-नहस कर नवरत्नगढ़ के प्रसिद्ध नागपुर दरवाजा पलामू ले जाकर नये किले में लगवाया ।
  • औरंगजेब ने बिहार के सूबेदार दाऊद खाँ को पलामू पर आक्रमण करने हेतु भेजा था।
  • औरंगजेब के शासनकाल में 1667 ई. में रामगढ़ का राजा दलेल सिंह था।
  • रामगढ़ के राजा दलेल सिंह ने 1670 ई. में अपनी राजधानी को बादम से हटकर रामगढ़ में स्थापित की ।
  • मुगल शासक औरंगजेब की मृत्यु के बाद झारखण्ड स्वतंत्र हो गया ।
  

उत्तर मुगल काल में झारखण्ड:-

  
  • औरंगजेब की मृत्यु के बाद स्वतंत्र हुए खुखरा प्रदेश को गवर्नर सरबुलंद खाँ ने पुनः मुगल शासकों के अधीनस्थ किया ।
  • सरबुलंद खाँ ने खुखरा प्रदेश को 1724 ई. में अधीनस्थ किया ।
  • बिहार के सूबेदार सरबुलंद खाँ ने 1717 ई. में नागवंशी राजा यदुनाथ शाह पर आक्रमण किया था ।
  • पलामू के चेरो राजा रणजीत राय ने 1719 ई. में टोरी परगना पर कब्जा किया ।
  • बिहार के सूबेदार फखरूद्दौला द्वारा छोटानागपुर पर 1730 ई. में आक्रमण किया गया ।
  • फखरूद्दौला के आक्रमण के समय नागवंश का राजा शिवनाथ शाह था।
  • हुसैनाबाद एवं हैदरनगर की स्थापना हिदायत अली खाँ ने की थी ।
  • मराठा नेता भास्कर राव पंडित बंगला पर आक्रमण के दौरान छत्तीसगढ़ के रास्ते झारखण्ड में प्रविष्ट हुआ।
  • भोंसले परिवार द्वारा शासित ‘नागपुर’ से छोटानागपुर का संबंध बतानेवाले इतिहासकार जे. एच. हेविट है
  • मराठा आक्रमणों के फलस्वरूप झारखण्ड से मुगल प्रभाव का अंत हो गया ।

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Jharkhand Gk in Hindi JSSC
jharkhand gk in hindi
 

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