झारखण्ड में सल्तनत काल और अंग्रेजों का प्रवेश
सल्तनत काल में झारखण्ड:-
- बख्तियार खिलजी ने 1206 ई. में नदिया (बंगाल) पर आक्रमण झारखण्ड से होकर किया था ।
- गुलाम वंश के समय मुस्लिम सेनाओं की छावनियाँ झारखण्ड की सीमाओं पर बनाई गयी थी।
- 1310 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक छज्जू को नागवंशी राज्य को अपने अधीन करने के लिए भेजा था ।
- अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति “मलिक काफूर” जब दक्षिण भारत के विजय के लिए निकला तो वह झारखण्ड राज्य से होकर गुजरा था ।
- नागवंशी राजा फणिमुकुट राय एवं बेणु कर्ण ने खिलजी की अधीनता स्वीकार की थी।
- तुगलक काल के सिपहसालार मलिक बयां ने हजारीबाग के चाई किला को जीतकर फतेहखान दौला को समर्पित किया था।
- फिरोजशाह तुगलक ने हजारीबाग के सतगावां क्षेत्र को बंगाल के शासक शम्सीउद्दीनशाह से जीतकर उसे बंगाल की राजधानी बनाया था ।
- तारीख-ए फिरोजशाही के अनुसार फिरोजशाह तुगलक ने झारखण्ड क्षेत्र से होकर बंगाल के विरूद्ध दो बार आक्रमण किया ।
- झारखण्ड में उरांव जनजाति का प्रवेश बख्तियार खिलजी के साथ हुआ ।
- उरांव एवं मुंडा की भाषाओं में अरबी, फारसी तथा तुर्की भाषाओं के शब्द पाये जाते है |
- खिलजी काल में प्रचलित रहे चौधरी, खुत, मुकद्दम जैसे शब्द आज भी प्रचलित है|
- उड़ीसा के शासक कपिलेन्द्र ने आक्रमण कर संथाल परगना तथा छोटानागपुर के एक बड़े हिस्से पर अधिकार कर लिया था ।
- श्री चैतन्य चरितामृत में झारखण्ड के भौगोलिक आकार का स्पष्ट वर्णन है।
- श्री चैतन्य चरितामृत जैसे अमूल्य ग्रंथ में संथाल परगना तथा छोटानागपुर से होते हुए गया होकर चैतन्य महाप्रभु के गुजरने का उल्लेख है।
- श्री चैतन्य चरितामृत के अनुसार संथाल परगना के विभिन्न गाँवों में उन्होंने ठाकुरबाड़ी की स्थापना की ।
- झारखण्ड में वैष्णव मत के प्रचार का श्रेय चैतन्य महाप्रभु को दिया जाता है।
- बंगाल के प्रसिद्ध वैष्णव गायक संत चैतन्य महाप्रभु मथुरा जाते समय झारखण्ड आये थे|
- चैतन्य महाप्रभु पंचपरगना क्षेत्र में रूके थे। उस समय इस क्षेत्र में नाग वंश का शासन था।
- जौनपुर के इब्राहिम शर्की ने मिथिला के राजा शिव सिंह तथा बंगाल के राजा गणेश पर आक्रमण करने हेतु झारखण्ड के मार्ग का उपयोग किया था।
- 1494 ई. में दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लोदी के भय से जौनपुर के भगोड़ा शासक हुसैनशाह शर्की ने झारखण्ड के साहेबगंज क्षेत्र में शरण ली थी ।
- मुहम्मद-बिन-तुगलक ने हज्जुद्दीन आजमुलमुल्क को सतगावां का शासक नियुक्त किया था ।
झारखण्ड में अंग्रेजों का प्रवेश;-
- झारखण्ड में अंग्रेजों का आगमन सर्वप्रथम सिंहभूम क्षेत्र में हुआ ।
- अंग्रेजों के सिंहभूम प्रवेश के समय यहाँ के प्रमुख राज्य धाल राजाओं के धालभूम, सिंह राजाओं के पोरहाट, हो लोगों के कोल्हान थे।
- फर्गुसन को सिंहभूम पर आक्रमण करने का काम 1767 ई. में सौंपा गया।
- घाटशिला के महल पर अंग्रेजों का कब्जा 22 मार्च, 1767 को हुआ।
- धालभूम के राजा को फर्गुसन के सेना द्वारा पराजित करने के बाद जगन्नाथ ढाल को धालभूम का राजा बनाया गया ।
- 1820 ई. में मेजर रफसेज के कोल्हान क्षेत्र में प्रवेश के पश्चात् रोरो नदी के तट पर हो जनजाति एवं अंग्रेजी सेना में लड़ाई हुई, जिसमें अंग्रेज विजयी हुए।
- 1837 ई. में हो लोगों ने आत्म-समर्पण किया और सीधे कम्पनी को कर देने के लिए तैयार हुए।
- 1837 ई. में कोल्हान क्षेत्र को एक नई प्रशासकीय इकाई बनाकर एक अंग्रेज अधिकारी के अधीन कर दिया गया ।
- ईस्ट इंडिया कम्पनी को दीवानी प्राप्त होने के 72 वर्षों के पश्चात कोल्हान क्षेत्र पर अंग्रेजों का आधिपत्य स्थापित हो सका।
- पलामू पर अंग्रेजी आधिपत्य वर्ष 1771-72 ई. में स्थापित हुआ।
- वर्ष 1770 ई. में सतबरवा के निकट चेतमा की लड़ाई में चेरो राजा जयकृष्ण राय को पराजित कर उसके विरोधियों ने उसकी हत्या कर दी ।
- 1771 ई. में कैमक ने पलामू किले पर अधिकार कर लिया ।
- 1771 ई. में पलामू के चेरो राजा चित्रजीत राय थे ।
- चेरो राजा चित्रजीत राय और ठकुराई जयनाथ सिंह रामगढ़ भाग गये ।
- अंग्रेजों के छोटानागपुर प्रवेश के समय यहाँ के राजा दर्पनाथ शाह थे ।
- 1771 ई. में दर्पनाथ शाह ने अंग्रेजों के साथ मित्रता कर ली। वह पटना कौंसिल को 12,000 रुपये सालाना ‘कर’ देने को तैयार थे ।
- हजारीबाग क्षेत्र में अंग्रेजी कम्पनी को सर्वाधिक विरोध का सामना रामगढ़ राज्य से करना पड़ा था |
- हजारीबाग में अंग्रेजों का प्रवेश कैमक के नेतृत्व में हुआ।
- रामगढ़ नरेश मुकुन्द सिंह शुरू से अंत तक अंग्रेजों का विरोध करते रहे।
- 1772 ई. में रामगढ़ राज्य पर चढ़ाई की गयी ।
- मुकुन्द सिंह भागकर पलामू चले गए थे।
- तेज सिंह को रामगढ़ का राजा घोषित किया गया ।
- 1773 ई. में रामगढ़, पलामू और छोटानागपुर खास को मिलाकर रामगढ़ जिले का गठन किया गया ।
- संथाल परगना में अंग्रेजों का आगमन बक्सर के युद्ध के पूर्व हुआ था।
- विक्रम सिंह ने सरायकेला राज्य की स्थापना की थी ।
- सरायकेला राज्य का मुख्यालय सरायकेला था।
- सरायकेला राज्य का अंग्रेजों के साथ 1770 ई. में संपर्क हुआ ।
- विक्रम सिंह के द्वितीय पुत्र द्वारा स्थापित राज्य का अंग्रेजों के साथ विधिवत संघर्ष वर्ष 1793 ई. में स्थापित हुआ ।
- ईस्ट इंडिया कम्पनी को झारखण्ड में प्रवेश करने में 7 दशकों का समय लगा।
- राजमहल के उधवानाला में मीर कासिम के साथ अंग्रेजों का युद्ध हुआ था ।
- 1778 ई. में झारखण्ड में प्रशासन हेतु वृहत् योजना रॉबर्ट ब्राउन ने प्रदान की।
- झारखण्ड क्षेत्र में पहाड़ी एसेम्बली की स्थापना क्लीवलैंड ने की ।
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