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झारखण्ड की जलवायुऔर नदी घाटी परियोजनाएँ

झारखण्ड की जलवायुऔर नदी घाटी परियोजनाएँ 

जलवायु

  • झारखण्ड की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है।
  • झारखण्ड में मानसून का प्रवेश प्रायः 10 जून को होता है।
  • झारखण्ड में वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है|
  • झारखण्ड में मानसून मध्य अक्टूबर में लौटता है।
  • झारखण्ड में शीत कालीन वर्षा भूमध्य सागर की ओर से आनेवाले चक्रवातों के कारण होती है।
  • झारखण्ड में औसत वार्षिक वर्षा 140 सेमी होती है|
  • झारखण्ड में सर्वाधिक गर्मी जमशेदपुर में पड़ती है।
  • वर्ष 2017 में झारखण्ड का पलामू जिला देश का तीसरा सबसे गर्म स्थान रहा है।
  • कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार झारखण्ड का अधिकांश क्षेत्र Cwg व lw विभाग में आता है।
  • थॉर्नवेट के जलवायु विभाजन में झारखण्ड का अधिकांश क्षेत्र Caw विभाग में शामिल है।
  • ट्रिवार्था  के जलवायु विभाजन में झारखण्ड का अधिकांश क्षेत्र Caw व lw विभाग में शामिल है।
  • झारखण्ड में वर्षा का मुख्य स्रोत बंगाल की खाड़ी की शाखा है।
  • झारखण्ड के नेतरहाट पठार क्षेत्र में सर्वाधिक औसत वर्षा होती है|
  • झारखण्ड का औसत वार्षिक तापमान 25° सेल्सियस है।
   

नदी घाटी परियोजनाएँ

 
  • भारत की प्रथम बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना दामोदर घाटी परियोजना है|
  • दामोदर घाटी परियोजना की रूप-रेखा अमेरिका की टेनेसी घाटी योजना के आधार पर तैयार की गयी है|
  • दामोदर घाटी परियोजना (DVC) की स्थापना 1948 ई. में की गयी थी ।
  • दामोदर घाटी परियोजना में कुल 8 बाँध है।
  • दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत 3 तापीय विद्युत केंद्रों तथा 1 अवरोधक बांध की स्थापना का प्रावधान किया गया था।
  • दामोदर नदी पर स्वतंत्र भारत की प्रथम जल विद्युत योजना बनायी गयी ।
  • दामोदर घाटी परियोजना झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल राज्य की संयुक्त परियोजना है।
  • दामोदर घाटी परियोजना बहुउद्देशीय परियोजना है।
  • दामोदर घाटी परियोजना का विस्तार झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में है।
  • तिलैया बांध बराकर नदी पर 1953 ई० में बना।
  • कोनार बांध सन् 1954 में कोनार नदी पर बना ।
  • मैथन डैम 1958 ई. में बराकर नदी पर बना ।
  • पंचेत बांध सन् 1959 में दामोदर व बराकर के संगम पर बनाया गया ।
  • बोकारो बांध बोकारो नदी पर बना है|
  • बराकर नदी पर बना ‘बाल पहाड़ी बांध’ झारखण्ड के गिरिडीह जिले में अवस्थित है।
  • बर्मो एवं अय्यर बांध दामोदर नदी पर है।
  • बोकारो तापीय विद्युत गृह, चन्द्रपुरा तापीय विद्युत गृह एवं दुर्गापुर तापीय विद्युत गृह दामोदर घाटी परियोजना में सम्मिलित है।
  • झारखण्ड के हजारीबाग शहर में दामोदर घाटी निगम का भूमि संरक्षण डिवीजन है
  • स्वर्णरेखा परियोजना बहुउद्देशीय परियोजना है।
  • स्वर्णरेखा परियोजना 3 राज्यों की परियोजना है।
  • स्वर्णरेखा परियोजना का विस्तार झारखण्ड, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा राज्यों में है स्वर्णरेखा नदी घाटी परियोजना की शुरूआत पांचवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान हुई ।
  • हुंडरू जल विद्युत गृह स्वर्णरेखा योजना के अंतर्गत आती है।
  • चांडिल डैम स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है ।
  • डिमना डैम स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है।
  • मयूराक्षी परियोजना का विस्तार झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में है|
  • मयूराक्षी परियोजना के अंतर्गत दुमका जिले के मसानजोर नामक स्थान पर डैम का निर्माण किया गया है|
  • मसानजोर डैम को कनाडा डैम के नाम से जाना जाता है |
  • कनाडा डैम का निर्माण कनाडा सरकार की सहायता से किया गया है।
  • कोयलकारो परियोजना दक्षिण कोयल एवं कारो नदी पर स्थित है|

विद्युत परियोजनाएँ

 
  • ताप विद्युत एवं जल विद्युत झारखण्ड में विद्युत ऊर्जा के मुख्य स्रोत है।
  • झारखण्ड में विद्युत ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत तापीय विद्युत है।
  • झारखण्ड में विद्युत उत्पादन की वर्तमान क्षमता 2626 मेगावाट है।
  • इसमें ताप विद्युत उत्पादन क्षमता 2405 मेगावाट और जल विद्युत उत्पादन 201 मेगावाट और नवीकरणीय स्रोतों से 20 मेगावाट है।
  • झारखण्ड में ताप विद्युत केन्द्र की उत्पादन क्षमता 91 प्रतिशत जबकि अन्य स्रोत की 9 प्रतिशत है।
  • झारखण्ड में विद्युत की वर्तमान खपत 552 यूनिट प्रतिव्यक्ति है।
  • पतरातू थर्मल विद्युत शक्ति गृह यू.एस.एस.आर. की तकनीकी सहायता से बना है।
  • पतरातू विद्युत शक्ति गृह रामगढ़ जिले में स्थित है।
  • पतरातू परियोजना नलकारी नदी पर आधारित है।
  • मैथन जल विद्युत परियोजना धनबाद जिले में स्थित है।
  • तिलैया जल विद्युत परियोजना कोडरमा जिले में स्थित है।
  • पंचेत जल विद्युत शक्तिगृह दामोदर नदी पर अवस्थित है।
  • दामोदर नदी पर स्वतंत्र भारत की प्रथम जल विद्युत योजना बनाई गयी |
  • कोयलकारो जल विद्युत परियोजना झारखण्ड राज्य में है |
  • चांडिल जल विद्युत योजना स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है।
 

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