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 जैन धर्म के  बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ! important facts about Jainism.

  

➤जैन धर्म

जैन धर्म 24 तीर्थंकर हुए हैं| जिसमें ऋषभदेव सबसे पहले और महावीर, बुद्ध के समकालीन 24वें तीर्थंकर हैं। 23वें तीर्थंकर पार्श्‍वनाथ ( प्रतीक चिन्ह: नाग) बनारस के राजा अश्‍वसेन के पुत्र थे। 24वें और अंतिम तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर (प्रतीक चिन्ह: शेर) थे।

 

 

important facts about Jainism.

वर्धमान महावीर का जीवन:

👉वर्धमान महावीर का जन्म वैशाली के कुण्‍डग्राम गांव में 540 ई.पू. हुआ था।इनके पिताजी सिद्धार्थ जंत्रिक कुल के मुखिया और माता त्रिशला वैशाली की एक लिच्‍छवी कुलीन महिला की sister थी। बाद में चेतका की पुत्री का विवाह मगध के राजा बिम्बिसार के साथ हुआ।इनका विवाह यशोदा के साथ हुआ एवं वे एक गृहस्‍थ जीवन जीने लगे।इनकी पुत्री का नाम अन्‍नोजा एवं दामाद का नाम जामेली था।

👉30 साल की आयु में ये साधु बन गए।

👉12 साल में इन्‍होने कठोर तपस्‍या की।

👉13वें वर्ष 42 वर्ष की आयु में इन्‍हे कैवल्‍य प्राप्‍त हुआ। कैवल्‍य का मतलब सर्वोच्‍च ज्ञान एवं सुख-दुख के बंधनो से मुक्ति |अत: इन्‍हे कैवलिन भी कहा गया था।

 

👉वे कैवल्‍य के लिए वैशाली के पास जाम्भिका ग्राम में ऋजुपालिका नदी के किनारे एक साल वृक्ष के नीचे बैठ गए।इन्‍होने अपने धर्म के प्रचार के लिए पावापुरी में एक जैन संघ की स्‍थापना की।468 ई.पू. में 72 साल की आयु में पावापुरी में इनका निधन हो गया।

 

जैन धर्म के पांच आधारभूत सत्‍य है वे हैं:-

 

👉अहिंसा- हिंसा न करना

👉सत्‍य- झूठ न बोलना

👉अस्‍तेय- चोरी न करना

👉अपरिग्रह- संपत्‍ति का अधिग्रहण न करना

👉ब्रह्मचर्य- अविवाहित जीवन

जैन धर्म के त्रिरत्‍न हैं:-

 

👉सम्‍यक् ज्ञान (उचित ज्ञान)

 

👉सम्‍यक् विचार (उचित विचार)

 

👉सम्‍यक् कर्म (उचित कार्य)

 

 

👉जैनधर्म के अनुसार सभी जगह आत्‍मा का निवास है यहां तक की पत्‍थरों, चट्टानों, भूमि,जल इत्यादि में भी ।

 

👉जैन धर्म के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति तभी संभव है जब व्यक्ति सभी संपत्तियों का त्‍याग करेंऔर लंबे समय तक उपवास रखे, आत्‍म त्‍याग, शिक्षा चितंन, एवं तपस्‍या करे।

 

👉जैनधर्म का मानना था की सनातन संसार दु:खों एवं कष्‍टों से भरा हुआ है।

 

👉जैन धर्म का मानना है की ब्रहमाण्‍ड जीव (आत्‍मा) अजीव (भौतिक संरचनाएं) धर्म, अधर्म, कला एवं आकाश से मिलकर बना है।

 

👉जैनधर्म वर्ण व्‍यवस्‍था औरआर्यन धर्म को नहीं मानता है।

 

👉जैनधर्म सरल एवं सादगी जीवन का समर्थन करता है।

 

👉जैनधर्म ईश्‍वर में विश्‍वास नहीं रखता है।

 

👉सल्‍लेखना एक रूढि़वादी जैन परम्‍परा है जिसमें एक व्‍यक्ति उपवास से स्‍वैच्छिक मृत्‍यु को अपना आता है।

 

👉जैनधर्म के अनुसार ज्ञान के तीन source है :-

     1.प्रत्‍यक्ष

    2.अनुमान

    3.तीर्थंकरो के प्रवचन।

 

जैनधर्म के सम्‍प्रदाय:

 

👉ऐसा कहा जाता है कि महावीर की मृत्‍यु के 200 वर्ष बाद मगध में एक भयंकर अकाल पड़ा था।उस समय चंद्रगुप्‍त मौर्य जैन समुदाय का राजा एवं भद्रबाहू समुदाय का मुखिया थे।चंद्रगुप्‍त एंव भद्रबाहु अपने अनुयायियों के साथ कर्नाटक चले गए एवं स्‍थूलबाहू को मगध में बचे बाकी जैनियों का प्रभारी बना गए।जो जैनी लोग कर्नाटक गए वे दिगम्‍बर (जो नग्‍न अवस्‍था में रहते थे) कहलाए और मगध के बचे हुए जैनी लोग श्‍वेताम्‍बर (जो सफेद वस्‍त्र धारण करते थे) कहलाये।दिगम्‍बरों ने जैन धर्म के सिद्धांतों का सख्‍ती से पालन किया जबकि श्‍वेताम्‍बर दृष्टिकोण से उदारवादी थे।जैन धर्म के कुछ समर्थक थे: चंद्रगुप्‍त मौर्य, कलिंग के खारवेल, दक्‍कन के राष्‍ट्रकूट,चामुण्‍डराय, गुजरात के सोलंकी शासक एवं इंद्र –IV

श्‍वेतांबर( स्‍थूलभद्र)जो लोग सफेद वस्‍त्र पहनना करते थे। जो लोग अकाल के दौरान उत्‍तर में रहे थे।

👉दिगंबर (भद्रबाहु) मगध अकाल के दौरान डेक्‍कन और दक्षिण में भिक्षुओं का पलायन। ये निर्वस्त्र रहते थे|

 

➤जैन साहित्‍य

 

👉जैन साहित्‍य सबसे पहले प्राकृत में और बाद में संस्‍कृत में लिखा गया। इस प्रकार से जैन धर्म लोगों के माध्यम से दूर तक गया। महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्य इस प्रकार हैं-

12 अंग

12 उपअंग

10 परिक्रण

6 छेदसूत्र

4 मूलसूत्र

2 सूत्र ग्रंथ

👉संगम साहित्‍य का भाग जो जैन विद्वानों की देन है।

👉कल्‍पसुत्र भद्रबाहू द्वारा लिखा गया था।

 

जैन संगीतियां

 

क्रमांक   :-    वर्ष/स्‍थान    :-   अध्यक्ष                            :-   परिणाम

 

प्रथम   :-      300 ई.पू. पाटलिपुत्र   :-      स्‍थूल भद्र   :-   जैनधर्म, श्‍वेताम्‍बर एवं दिगम्बर दो समप्रदायों में विभाजित हुआ

द्वितीय   :-   6ठी शताब्‍दी ईसवी वल्‍लभी   :-   देवर्धी क्षमा सरमन   :-   12 अंग एवं 12 उपांग का संकलन

 

 जैन स्‍थापत्‍य कला

 

👉हाथीगुफा सुरंग   – खारवेल

👉दिलवाड़ा के मंदिर  – माउन्‍ट आबू (राजस्‍थान)

👉रॉक कट गुफायें   – बदामी एवं आइहोल

 

इन्हें भी पढ़ें:- 

 

 FAQ:-

 
  • वर्धमान महावीर का जन्म——वैशाली के कुण्‍डग्राम गांव में 540 ई.पू. हुआ था।
  • कैवल्‍य का मतलब——-सर्वोच्‍च ज्ञान एवं सुख-दुख के बंधनो से मुक्ति|
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