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शेरशाह सूरी या शेर खाँ की जीवनी |Sher Shah Suri or Sher Khan Biography.

  

शेरशाह सूरी (1540 – 1543ईस्वी):-

 

 

👉सुर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशी शेरशाह सुरी था|

👉इनके पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम(बिहार) के जमींदार थे|

👉शेरशाह का असली नाम फरीद था| फरीद को शेर खाँ का नाम उसके संरक्षक ने एक शेर को मारने पर दिया था|

 

शेरशाह सूरी या शेर खाँ की जीवनी

 

 

 

👉शेरशाह का जन्म 1472 ईस्वी में पंजाब के होशियारपुर बजवाड़ा में हुआ था|शेरशाह के पिता हसन खाँ की 4 पत्नियां और 8 पुत्र थे|

👉शेरशाह 1494 ईसवी में सासाराम छोड़कर जौनपुर चला गया|

👉मोहम्मद शाह( बाहर खा लोहानी) की मृत्यु के बाद शेर खाँ ने उसकी विधवा दूदू बेगम से विवाह कर लिया तथा दक्षिण बिहार का शासक बन गया|

👉शेरशाह सूरी ने मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद उत्तर भारत में स्थापित सबसे बड़े साम्राजय पर शासन किया था|

👉1527 ईस्वी में शेरशाह ने मुगलों की नौकरी कर ली तथा उसके प्रशासन तथा सैनिक दोषों का अध्ययन कर 1528 ईस्वी में नौकरी छोड़ दी| उसके बाद शेर खाँ ने दक्षिण बिहार के जलाल खाँ के रक्षक व शिक्षक के रूप में नौकरी कर ली|

👉जलाल खाँ की मृत्यु के बाद शेर खाँ वहां का नायाब-सूबेदार नियुक्त किया गया|

👉कालांतर में मुगल शासक हुमायूं से संघर्ष कर बिलग्राम युद्ध 1540 ईसवी मे शेरशाह दिल्ली की गद्दी पर बैठा|

 

👉शेरशाह मारवाड़ के युद्ध में राजपूतों के शौर्य से इतना प्रभावित हुआ कि उसने कहा- ”मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए लगभग हिंदुस्तान का साम्राज्य खो चुका था|

👉1544 ईस्वी मे राजपूत और अफगान सेना के साथ युद्ध जोधपुर और अजमेर के मध्य सामेल नामक स्थान पर हुआ था|

👉उसका अंतिम सैनिक अभियान कालिंजर के विरुद्ध था| कालिंजर की घेराबंदी के दौरान उक्का नामक अस्त्र चलाने के दौरान शेरशाह सूरी बुरी तरह से घायल हो चुका था| 22 मई 1545 ईसवी मे इसकी मृत्यु हो गई| उस समय कालिंजर का शासक कीरत सिंह था|

👉शेरशाह सूरी का दूसरा बेटा इस्लाम शाह सिंहासन पर बैठा| उसने 1553 ईसवी तक शासन किया|

👉शेरशाह का मकबरा सासाराम की झील के बीच ऊंचे टीले पर निर्मित किया गया है|

 

 

Sher Shah Suri or Sher Khan Biography.

 

 

शेरशाह द्वारा किए गए कार्य:-

 

 

👉शेरशाह सूरी ने आगरा से जोधपुर व चित्तौड़गढ़ तक सड़क बनवाई| एक अन्य सड़क उसने लाहौर से मुल्तान तक बनवाई थी|

👉यात्रियों की सुविधा के लिए उसने इन सड़कों पर लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर सराये बनवाई| सूरी ने कुल 1700 सराये बनवाई| इन सड़कों और सराये को साम्राज्य की धनिया कहा गया है| बहुत सी सराये बाजार बस्तियों के रूप में विकसित हुई, जिन्हें कस्बा कहा जाता था|

👉सरयो का उपयोग समाचार-सेवाओं के लिए अथार्थ डाक-चौकियों के लिए भी किया जाता था|

👉शेरशाह ने दिल्ली के निकट यमुना के किनारे एक नया नगर भी बसाया| अब उसने केवल पुराना किला और उसके अंदर बनी एक मस्जिद सुरक्षित है|

👉शेरशाह ने विद्वानों को भी संरक्षण दिया| उसमें से एक मलिक मोहम्मद जायसी था, जिसने पद्मावत नामक काव्य ग्रंथ की रचना की| यद्यपि यह शेर शाह के संरक्षण में नहीं था|

👉शेरशाह ने भूमि की माप के लिए सिकंदरी गज 34 अंगुल या 32 इंच एवं सन की डंडी का प्रयोग करवाया था|

👉शेरशाह की मुद्रा व्यवस्था तंत्र विकसित थी| उसने पुराने घिसे पीटे सिक्के के स्थान पर चांदी का रुपया और तांबे का दाम चलाया|

👉शेरशाह के समय में 23 टकसालें थी| शेरशाह के सिक्कों पर शेरशाह का नाम और पद अरबी या नागरी लिपि में अंकित होता था|

👉शेरशाह द्वारा रुपए के बारे में स्मित ने लिखा है- यह रुपया वर्तमान ब्रिटिश मुद्रा प्रणाली का आधार है|

👉मालगुजारी के अतिरिक्त किसानों को जरीबाना एवं महाशिलाना नामक कर देना पड़ता था, जो क्रमशः भू राजस्व का 2.5 प्रतिशत एवं 5 प्रतिशत होता था|

👉अपने साम्राज्य के एक छोर से दूसरे छोर तक शांति व्यवस्था की पुनर्स्थापना शेरशाह का एक प्रमुख योगदान था|

👉शेरशाह ने अपने राज्य में वाणिज्य-व्यापार के उत्थान और संचार-सुविधा के सुधार की ओर विशेष ध्यान दिया|

👉उसने पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर बंगाल में सोनार गांव तक पहुंचने वाली पुरानी शाही सड़क जिसे ग्रैंड ट्रंक रोड कहते हैं, को पुनः शुरू करवाया जिसे प्राचीन भारत में उत्तरापथ कहते थे| लॉर्ड डलहौजी ने इसका नाम बदलकर जी.टी.रोड रखा था, वर्तमान में यह NH1 और NH2 के नाम से जानी जाती है|

👉शेरशाह ने 1541 ईसवी में पाटलिपुत्र को पटना के नाम से पुनः स्थापित किया|

👉शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1/3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूल करती थी|

👉रोहतासगढ़ किला एवं किला-ए-कुहना नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह द्वारा किया गया था|

 

इन्हें भी पढ़ें:- 

 

 

 

 

FAQ:-

 

Q शेरशाह का जन्म कब हुआ?—-1472 ईस्वी में

Q ग्रैंड ट्रंक रोड की मरम्मत किसने करवाई?—– शेरशाह सूरी

Q दास प्रथा का प्रचलन किसके द्वारा किया गया?—– शेरशाह सूरी

Q शेरशाह के उत्तराधिकारी कौन थे?—- इस्लामशाह तथा मोहम्मद आदिलशाह

Q शेरशाह का पुराना नाम क्या था?—– फरीद खाँ

Q शेरशाह सूरी का मकबरा कहां है?—– सासाराम में

Q किस युद्ध के बाद शेरशाह सूरी दिल्ली की गद्दी पर बैठा?—- बिलग्राम युद्ध 1540 ई.

Q मलिक मोहम्मद जायसी ने किसकी रचना की?—– पद्मावत नामक ग्रंथ

Q कबूलियत एवं पट्टा प्रथा की शुरुआत किसने की?—- शेरशाह ने

 

 

 

 

 

 

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