सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार का वर्णन|Description of the Indus Valley Civilization.
सिंधु घाटी सभ्यता:-
जॉन मार्शल ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ शब्द का उपयोग करने वाले प्रथम व्यक्ति थे। रेडियो कार्बन C14 के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता का विकास 2500 ईसा पूर्व – 1750 ईसा पूर्व में हुआ। इसकी सभ्यता आद्य ऐतिहासिक काल से संबंध मानी गई है क्योंकि इसकी अभी तक कोई चित्रात्मक लिपि नहीं पढ़ी जा सकी है| सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी और रखलदास बनर्जी ने की| इस सभ्यता को bronze युग में रखा गया है|
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भौगोलिक विस्तार
1.सीमा:-
पश्चिमी स्थल – सुतकांगेडोर( बलूचिस्तान),
पूर्वी स्थल – आलमगीरपुर( उत्तर प्रदेश),
उत्तरी स्थल – माँदा (जम्मू कश्मीर),
दक्षिणी स्थल – दायमाबाद( महाराष्ट्र)
2. प्रमुख शहर
हड़प्पा :-
नदी – रावी
पुरातात्विक महत्व – अन भंडार , गरुड़ का चित्र,मछुआरे का चित्र ,देवी माता की मूर्ति ,शंख का बैल
मोहनजोदड़ो :-
नदी – सिंधु
पुरातात्विक महत्व- अनाज, बृहत स्नानागार, पशुपति महादेव की मूर्ति, दाढ़ी वाले आदमी की मूर्ति और एक नर्तकी की कांस्य की मूर्ति, महाविद्यालय, 16 मकानों का बैरक
लोथल:-
नदी -भोगवा
पुरातात्विक महत्व – बंदरगाह शहर, दोहरी कब्रगाह, टेराकोटा की अश्व की मूर्तियां, गोदीबाड़ा
चन्हूदड़ो:-
नदी – सिंधु
पुरातात्विक महत्व – बिना दुर्ग का शहर, मनके बनाने का कारखाना, लिपिस्टिक
शहर योजना एवं संरचना:-
👉ईंट की पंक्तियों वाले स्नानागार और सीढियों वाले कुओं के साथ आयताकार घर बनाए गए हैं।
👉पकी ईंटों का प्रयोग करना
👉भूमिगत जल को निकालने की व्यवस्था व्यवस्था
👉किलाबंद दुर्ग
👉शहर योजना की ग्रिड प्रणाली
कृषि के क्षेत्र में सिंधु घाटी सभ्यता:-
👉सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को जाता है क्योंकि कपास का उत्पादन सबसे पहले सिंधु क्षेत्र में हुआ इसलिए यूनान के लोग इसे सिन्डन कहने लगे|
👉चावल भूसी के साक्ष्य पाए गए
👉 सिंधु सभ्यता के लोग गेहूं, जौ, राई ,मटर आदि अनाज पैदा करते थे ,उन्हें 9 प्रकार की फसलों का ज्ञान था | जिनमें दो किस्म का गेहूं और जौ की खेती करते थे।
👉लकड़ी के खंभों का प्रयोग। उन्हें लोहे के औजारों की कोई जानकारी नहीं थी।
पशुपालन:-
👉बैल, भैंस, बकरी, भेंड़ और सुअर पालते थे । इनमें से कूबड़ वाला सांड विशेष प्रिय था|
गधे और ऊंट का उपयोग समान ढ़ोने में किया जाता था।
👉गुजरात के पश्चिम में स्थित सुरकोटदा ने घोड़े के अवशेष मिले हैं| हड़प्पा के लोगों को हाथी का ज्ञान था और यह गेंडे से भी परिचित थे|
प्रौद्योगिकी और शिल्पकला:-
👉कांस्य (तांबे और टिन) का अधिक प्रयोग करते थे |
👉पत्थर के औजारों का प्रचलन था |
👉कुम्हार द्वारा निर्मित पहियों का पूर्णत: उपयोग
👉मोहनजोदड़ो से बुने हुए सूती कपड़े का एक टुकड़ा मिला तथा कई वस्तु पर कपड़े की छाप देखने में आई है|
👉कांस्य आभूषण, सोने के आभूषण, नाव-बनाने, ईंट बिछाने आदि अनेक व्यापार पाए गए हैं|
व्यापार: सिंधु घाटी सभ्यता:-
👉हड़प्पा के लोग सिंधु सभ्यता क्षेत्र के भीतर पत्थर, धातु और हड्डी आदि का व्यापार करते थे|वस्तु-विनिमय प्रणाली का व्यापक उपयोग।
👉लोथल, सुतकांगेडोर व्यापार के लिए उपयोग किए जाने वाले बंदरगाह शहर थे।
👉व्यापार के लिए स्थल- अफगानिस्तान, ईरान और मध्य एशिया। मैसोपोटामिया सभ्यता से संपर्क के भी दर्शन होते हैं।
राजनीतिक संगठन:-
👉हड़प्पा कालीन राजनीतिक व्यवस्था के वास्तविक स्वरूप के बारे में हमें कोई अस्पष्ट जानकारी मिलती लेकिन हड़प्पा संस्कृति की व्यापकता एवं विकास को देखने से ऐसा लगता है कि सभ्यता किसी केंद्रीय शक्ति से संचालित होती थी
धार्मिक प्रथाएं:-
👉हड़प्पा में पक्की मिट्टी की स्त्री-मूर्तियां बड़ी संख्या में मिली है एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ से निकलता एक पौधा दिखाया गया| यह संभवत: पृथ्वी देवी की प्रतिमा है तथा इसका निकट संबंध पौधे के जन्म वृधि से रहा हो गा,इसीलिए मालूम होता है कि यहां के लोग उर्वरता की देवी समझते थे और किसकी पूजा करते थे|
पेड़ और पशु पूजा:-
👉पीपल के वृक्ष की पूजा के साक्ष्य मिले है|
👉गेंडे के रूप में एक सींग वाले यूनीकॉर्न और कूबड़ वाले सांड़ की पूजा सामान्य रूप से दिखती थी।
👉भूत और आत्माओं को भगाने के लिए ताबीज का प्रयोग करते थे|
हड़प्पा की लिपि: सिंधु घाटी सभ्यता:-
👉हड़प्पा की लिपि पिक्टोग्राफिक (Pictographic) मालूम थी लेकिन अब तक इसकी व्याख्या नहीं की गई है।
👉ये पत्थरों पर मिलती है इसीलिए केवल कुछ शब्द ही प्राप्त हुए हैं|
👉हड़प्पा की जो लिपि है वह भारतीय उप-महाद्वीप में सबसे पुरानी लिपि है|
वजन एवं मापन:-
👉बाट के रूप में मनके एवं जवाहरात की बहुत सारी वस्तुएं पाई गई जिससे प्रकट होता है कि तौल की इकाई 16 के गुणज में थी |जैसे:-16,64,160,320
👉सुरकोटदा से तराजू का साक्ष्य मिला|
हड़प्पा में मिट्टी के बर्तन:-
👉हड़प्पा के लोग कुम्हार के चौक का प्रयोग करके मिट्टी के बर्तन बनाते थे जिसे मृदभांड कहते थे इनकी आकृति वृत्त या वृक्ष की आकृति से मिलती थी| इसका रंग लाल और गुलाबी थे |मृदभांड ऊपर सिंधु लिपि मिलती है|
कालीबंगा से मिली मुहरे:-
👉हड़प्पा संस्कृति की सर्वोत्तम कलाकृति उनकी मुहरे है| अब तक लगभग 2000 मुहरे प्राप्त हुई है| मुहरो पर लघु लेखों के साथ-साथ एक श्रृंगी पशु , भैंस बाघ सांड बकरी और हाथी की आकृति उकेरी गई है|
👉मुहरो के बनाने में सर्वाधिक उपयोग सेलखड़ी का किया गया है|
टेराकोटा मूर्तियां:-
👉टेराकोटा- आग में पकी मिट्टी|
👉काँसे की नर्तकी उनकी मूर्ति कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है संपूर्ण मूर्ति गले में पड़े हार के अलावा पूर्णत: नगन्य है|
👉हड़प्पा एवं चन्हूदरो से बैलगाड़ी तथा इक्कागाड़ी प्राप्त हुआ है|
👉हड़प्पा में पत्थर का भारी काम देखने को नहीं मिला, जो पत्थर के खराब कलात्मक काम को दर्शाता है|
उत्पत्ति, परिपक्वता और पतन:-
👉 हड़प्पा संस्कृति का अस्तित्व 2550-1900 ईस्वी पूर्व के बीच रहा| यह संस्कृति एक ही प्रकार के औजारों हथियारों और घरों का प्रयोग करती थी|
👉कुछ विद्वानों का मानना है कि पड़ोस के रेगिस्तान के फैलने से मैं लवणता बढ़ गई और उर्वरता घटती गई इसी से सिंधु सभ्यता का पतन हो गया|
👉जमीन धस गई या ऊपर उठ गई, जिससे इन में बाढ़ का पानी जमा हो गया
👉भूकंपों से सिंधु सभ्यता परिवर्तित हो गए|
👉हड़प्पा सभ्यता आर्यों के आक्रमणों से नष्ट हो गई|
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FAQ:-
- Q सिंधु सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह है? —-लोथल
- Q हड़प्पा कौन नदी स्थित है ? —- रावी नदी
- Q हड़प्पा के लोग अनभिज्ञ थे?—- लोहा से
- Q हड़प्पा में मिट्टी के बर्तन पर प्रयुक्त रंग था?—- लाल
- Q सिंधु घाटी के लोग पूजा करते थे? —- मातृ देवी की
- Q मृदभांड चावल के दाने मिले हैं? —- लोथल से
- Q मोहनजोदड़ो की खोज किसने की? —- राखलदास ने
- Q सिंधु घाटी सभ्यता थी ? —- आद्य ऐतिहासिक
- Q सिंधु सभ्यता की लिपि कौन सी थी ?—- चित्रात्मक
- Q सिंधुवासियों की मुख्य फसल कौन सी थी ?—- गेहूं