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सातवाहन साम्राज्य का विस्तार पूर्वक वर्णन|Expansion of Satavahana Empire.

 

राजनीतिक इतिहास:-

 

👉सातवाहन मौर्य के उत्तराधिकारी हुए जो दक्कन और मध्य भाग में विस्तार था| पुराणों में सातवाहन को आंध्र कहा गया है|

👉सातवाहनों के सबसे पुराने अभिलेख ईसा पूर्व पहली सदी के है| उन्होंने कण्वो  को पराजित कर मध्य भारत के कुछ भाग में अपनी सत्ता स्थापित किया था|

👉सातवाहन शासकों ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठान में स्थापित की|( प्रतिष्ठान महाराष्ट्र के औरंगाबाद क्षेत्र में है|)

 

 

सातवाहन साम्राज्य का विस्तार पूर्वक वर्णन
 

 

सिमुक(60-37 ईस्वी पूर्व) :-

 

👉सातवाहनों का प्रथम शासक सिमुक था| पुराणों के अनुसार सिमुक ने अंतिम रूप से शुंग और कण्व सत्ता को समाप्त किया|सिमुक ने मगध पर आक्रमण किया जहां कण्व वंश का सुशर्मन  शासन रहा था|

 

कृष्ण(37-27 ईस्वी पूर्व):-

 

👉सिमुक के बाद उसका भाई कृष्ण शासक बना| इसने नासिक तक शक्ति का विस्तार किया| नासिक शिलालेख में इसका नाम मिलता है|

 

 शातकर्णी  प्रथम(27-17 ईस्वी पूर्व):-

 

👉सातवाहन का अगला शासक शातकर्णी  प्रथम था| इसके नाम का उल्लेख सातवाहन अभिलेखों एवं पेरीप्लस ऑफ दी एरिथियन सी ले मिलता है|

  यह शातकर्णी की उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक था| इसने अपनी शक्ति को सुदृढ़ करने के लिए अंगीय  की राजकुमारी नायनिका  से विवाह किया|

 

गौतमीपुत्र शातकर्णी(106-130 ईसवी):-

 

👉नासिक अभिलेख में इसे एकमात्र ब्राह्मण एवं अद्वितीय ब्राह्मण कहा गया है|

गौतमीपुत्र सातकर्णि का शासन दक्षिण के कर्नाटक से उत्तर में मालवा तक फैला हुआ था|

👉सौराष्ट्र के शक  शासक रुद्रदामन प्रथम ने सातवाहनों को दो बार हराया था|

👉गौतमीपुत्र शातकर्णी ने वेणकट स्वामी की उपाधि धारण की तथा वेणकट नगर की स्थापना की|

 

यज्ञश्री शातकर्णी(165-194):-

 

👉सातवाहन का अगला शासक यज्ञश्री शातकर्णी था जो जल यात्रा और व्यापार का दीवाना था| इसके सिक्के महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश मे मिले है| इन सिक्कों पर जहाज का चित्रण मिलता है जिससे यह पता चलता है कि यह जल यात्रा और समुद्री व्यापार के प्रति बहुत दीवाने थे|

 

 

सामाजिक संगठन:-

 

👉सातवाहन दक्कन की ब्राह्मण जाति के थे| इनमें से सबसे प्रसिद्ध गौतमीपुत्र शातकर्णी था|

ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने वाले प्रथम शासक सातवाहन थे| लेकिन इन्होंने अधिकतर भूमि बौद्ध भिक्षु को दिया|

👉सातवाहन काल में वाणिज्य और शिल्प की बहुत तेजी से प्रगति हुई| इन्होंने स्मारक और शिलापतिकाओं को स्थापित किया|

👉सातवाहन काल की सामाजिक व्यवस्था पितृसत्तात्मक थी लेकिन उनके शासकों के नाम उनकी माताओं के नाम पर रखने की प्रथा थी|

 

भौतिक संस्कृति:-

 

👉सातवाहनों के सिक्के अधिकतर सीसे से बनाए जाते थे| सातवाहन शासकों ने पोटीन,तांबे और कांसे के सिक्के का प्रचलन था|

👉पूर्वी दक्कन के आंध्र प्रदेश के लगभग सभी गांव के अतिरिक्त दीवारों से घिरे 30  नगर थे |अत्यधिक संख्या में मिले रोमन और सातवाहन सिक्कों से बढ़ते हुए व्यापार का संकेत मिलता है|

 

धर्म:-

 

👉सातवाहन शासक ब्राह्मण थे और उन्होंने ब्राह्मणवाद के विजयअभियान का नेतृत्व किया था| वे कृष्ण, वासुदेव आदि वैष्णव देवताओं के उपासक थे|

👉सातवाहन के शासन के समय में बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय का प्रभाव था उन्होंने बौद्ध भिक्षु को ग्राम दान देकर बौद्ध धर्म को बढ़ाया|

 

भाषा:-

 

👉सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत थी| सभी अभिलेख इसी भाषा में और ब्राह्मी लिपि में लिखे हुए हैं|

 

प्रशासनिक ढांचा:-

 

👉अशोक के काल में पाई जाने वाली प्रशासनिक इकाइयां की तरह सात वाहनों के के प्रशासनिक इकाइयां थी| उनके अधिकारी मौर्य काल की तरह अमात्य और महामात्य कहलाते थे|

👉सातवाहन राज्य में सामंत की तीन श्रेणियां थी| पहली श्रेणी सामंत राजा कहलाता था तथा उसे सिक्का ढलवाने का अधिकार था दितीय श्रेणी सामंत महाभोज कहलाता था और तृतीय श्रेणी सामंत सेनापति कहलाता था|

 

 

इन्हें भी पढ़ें:- 

 

 

 

FAQ:-

 

Q सातवाहन वंश की स्थापना किसने की?—- सिमुक

Q सातवाहन के किस राजा का नाम सांची स्तूप के प्रवेश द्वार पर अंकित है?—- शातकर्णी  प्रथम

Q सातवाहन शासक ने जहाज को सिक्कों पर चित्रित करके जारी किया?—-  याजना श्री शातकर्णी

Q सातवाहन का अंतिम शासक कौन था?—- विजय

Q सातवाहन वंश ने किन क्षेत्रों पर शासन किया?—- भारत के दक्कन और मध्य भाग

Q सातवाहनों ने किसे ग्राम दान दिया था?—- बौद्ध बौद्ध भिक्षुओ को

Q सातवाहन किस धर्म को मानते थे?—- ब्राह्मण

 

 

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