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लिच्छिवी साम्राजऔर उनका गणतंत्रात्मक गठन|Lichchivi Empire and their republican formation.

    👉लिच्छिवी नामक जाति छठी ईसा पूर्व सदी मे बिहार प्रदेश के उत्तरी भाग यानी मुजफ्फरपुर जिले के वैशाली नगर में निवास करती थी| इनका नाम लिच्छिवी ,लिच्छ नामक महापुरुष के वंशज होने के कारण पड़ा अथवा किसी प्रकार के चिन्ह धारण करने के कारण, इस नाम से प्रसिद्ध हुए| लिच्छिवी राजवंश इतिहास में प्रसिद्ध है जिसका राज्य किसी समय में नेपाल, मगध और कौशल में था| प्राचीन संस्कृत साहित्य में क्षत्रियों की इस शाखा लिच्छवी मिलता है| इनकी कई शाखाएं दूर दूर तक फैली थी| वैशाली वाली शाखा में जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी हुए और कौशल की शाक्य शाखा मे गौतम बुद्ध प्रभुत्व हुए|

 

Lichchivi Empire and their republican formation
 

 

 

 

 

लिच्छिवी साम्राज का  परिचय:-

 

👉लिच्छिवी जाति का इतिहास तथा शासनवृतांत एक सहस्त्र वर्षों तक किसी न किसी रूप में मिलता है| पाली साहित्य में लिच्छिवी वज्जि संघ की प्रधान जाती थी अतएव अंगूतरनिकाय, महावस्तु तथा विनयपिटक मे 16 महाजनपद की सूची में वज्जि का ही नाम आता है,लिच्छिवी का नहीं| इसीलिए पाणिनि ने वज्जि संघ का उल्लेख किया है| कौटिल्य ने भी किसे माना है,वज्जि संघ की 8 जातियों मे लिच्छिवी को मजबूत और शक्तिशाली जाति मानते थे| जिसकी राजधानी वैशाली का उल्लेख रामायण में भी आता है|

👉भारतीय परंपरा के अनुसार लिच्छिवी क्षत्रिय वंशज थे, इसी कारण से महापरिनिर्वाण के बाद लिच्छिवी संघ ने बुद्ध के अवशेष में हिस्सा का विभाजन किया था|उन लोगों ने अवशेषों से स्तूप का निर्माण कराया | बौद्ध और जैन धर्म का क्षेत्र होने के कारण पाली साहित्य में लिच्छिवी जाति का वर्णन है|

👉ऐसा माना जाता है किलिच्छिवी लोगों ने बिंबिसार के शासन काल के समय में मगध पर चढ़ाई की थी लेकिन मगध तथा वैशाली राज्यों में संधि के परिणाम स्वरूप वैवाहिक संबंध हो गया परंतु बिंबिसार के बाद इस युद्ध का बदला लेने का विचार अजातशत्रु के मन में आया|

👉बौद्ध धर्म का अनुयाई होने के कारण लिच्छिवी जाति ने शांति तथा अहिंसा का समर्थन किया| मगध साम्राज्य के अंतर्गत लिच्छिवी जाति प्रजातंत्र से सदियों तक शासन करती रही|

👉कुषाण काल के समय में लिच्छिवी ने फिर से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी| उनका संगठन मजबूत हो गया और उत्तरी बिहार में वैशाली राज्य प्रमुख हो गया| चौथी शताब्दी में गुप्त वंश का उदय होने पर गुप्त सम्राट लिच्छिवी वंश से वैवाहिक संबंध के कारण शक्तिशाली हो गए|

👉गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राओं में चंद्रगुप्त व श्री कुमार देवी के नाम से प्रसिद्ध एक स्वर्ण मुद्रा मिलती है जिसके आगे भाग में राजा तथा रानी की आकृति खुदी है और चंद्रगुप्त तथा श्री कुमार देवी अंकित है|

👉लिच्छिवी वंश उत्तरी बिहार से हटकर छठी सदी में नेपाल चली गई| उन्होंने काठमांडू के सुरक्षित भूभाग में प्रवेश कर राज्य स्थापित किया काठमांडू नगर की स्थापना लिच्छिवी के राजकुमार गुणकामदेव ने किया था|

👉लिच्छिवी वंश के कई अभिलेख यहां मिले हैं जो यह बताते हैं कि इस वंश ने कई सदियों तक नेपाल में शासन किया| इनका शासनकाल नेपाल के इतिहास में स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है|

👉नेपाल के निवार लोग लिच्छिवीयों वंशज है| इन लोगों में लिच्छिवीयों की परंपरा अभी तक जीवित है|

 

वैशाली के लिच्छिवी :-

 

👉यह बिहार मे स्थित प्राचीन भारत में बुद्ध के समय मे सबसे बड़ा और शक्तिशाली राज्य था| इस गणराज्य की स्थापना राजा इश्वाकु पुत्र विशाल ने की थी, जो समय के साथ वैशाली के नाम से प्रचलित हुआ|

👉लिच्छिवीयों ने भगवान बुद्ध के निवारण के लिए महावन में प्रसिद्ध कतारशाला  का निर्माण कराया था|

👉राजा चेतक की पुत्री चेलना का विवाह मगध सम्राट बिंबिसार से हुआ था|

👉विशाल ने वैशाली शहर की स्थापना की, इस राजवंश के प्रथम शासक नमनेदिष्ट था जबकि अंतिम शासक प्रमाती था|

👉लिच्छिवी वज्जिसंघ का एक धनी नगर था| यहांअनेक सुंदर भवन, चैत्य तथा विहार थे|

 

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 FAQ:-

 
 
 
  • Qपाली साहित्य में लिच्छवी किस संघ की प्रधान जाती थी?—-वज्जि
  • Qलिछवी राजवंश इतिहास में प्रसिद्ध है जिसका राज्य किसी समय में था?—–नेपाल, मगध और कौशल में
  • Qलिच्छवी वंश उत्तरी बिहार से हटकर छठी सदी में कहां चली गई?—- नेपाल
  • Q काठमांडू नगर की स्थापना किसने किया था?—- राजकुमार गुणकामदेव

 

 

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