श्रीनिवास रामानुजन के जीवन के कुछ रोचक तथ्| Srinivasa Ramanujan biopic interesting story
तो आइए श्रीनिवासन रामानुजन के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में हम जानते हैं:-
श्रीनिवास रामानुजन का जीवन
Srinivasa Ramanujan का जन्म 22/12/1887 को भारत के तमिलनाडु राज्य में एरोड नाम के एक गांव में हुआ था| उनके पिता का नाम के श्रीनिवास अयंगर था| जो एक साड़ी की दुकान में क्लर्क के रूप में काम करते थे और उनकी मां का नाम कोमल तामल था, जो एक हाउसवाइफ थी और साथ ही साथ मां मंदिर में भजन गाने का काम करती थी| उनका का बचपन ज्यादातर कुंभकोणम नामक जगह पर बीता जो कि पुराने मंदिरों के लिए अभी भी बहुत ही चर्चित है और आज भी उनके घर को वहां म्यूजियम के रूप में देखने को मिल सकता है |बचपन में रामानुजन का बौद्धिक विकास सामान्य बच्चों से बहुत कम था ,जहां बच्चे डेढ़ वर्ष में बोलने लगते हैं तो वही Ramanujan ने तीन वर्षों तक कुछ नहीं बोला था और इसी कारण से उनके घर वालों को चिंता होने लगी थी कि कहीं वे गूंगे तो नहीं| रामानुजन की मां ने 1891 एवं 1894 में दो बच्चों को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्य से दोनों की बचपन में ही मृत्यु हो गई |1 अक्टूबर 1892 रामानुजन का एडमिशन एक नजदीकी स्कूल में करवाया गया |उन्हें पढ़ाई लिखाई का शौक था और mathes के सब्जेक्ट में विशेष रुचि थी|
श्रीनिवासन रामानुजन का टैलेंट
श्रीनिवासन रामानुजन 10 साल की उम्र प्राइमरी की परीक्षा दी और पूरे जिले में सबसे ज्यादा नंबर लाने वाले छात्र बने और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने टाउन हायर सेकेंडरी स्कूल में एडमिशन ले लिया |शुरू से रामानुजन दिमाग में हमेशा अजीब तरह के प्रश्न आते रहते थे|जैसे संसार में पहला पुरुष कौन था ,पृथ्वी और बादल के बीच की दूरी कितनी होती है और बहुत सारी प्रश्न इसी प्रकार आते रहते थे| उनके प्रश्न उनके टीचर को कभी कभी बहुत अजीब लगती थी और उनसे परेशान हो जाते थे| लेकिन रामानुजन का स्वभाव इतना प्यारा था कि कोई भी उनसे ज्यादा देर तक नाराज नहीं हो सकता था|
बहुत जल्द स्कूल में उनका टैलेंट सबको दिखाई देने लगा और जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि मैथ सब्जेक्ट में उनकी रूचि इसी बात से पता चलती है की स्कूल में होने के बावजूद कॉलेज के क्वेश्चन सॉल्व करते थे |एक बार तो स्कूल के प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि स्कूल में होने वाली परीक्षाओं का लेवल रामानुजन के लिए लागू नहीं होता है क्योंकि वह छुटकी में उनको सॉल्व कर देते थे |हाई स्कूल की परीक्षा में अच्छे नंबर लाने की वजह से रामानुजन को सुब्रमण्यम स्कॉलरशिप मिली जिससे उनकी आगे की पढ़ाई आसान हो गई लेकिन आगे चलकर उनके सामने एक बहुत बड़ी परेशानी आई रामानुजन maths को इतना ज्यादा समय देने लगी कि दूसरे सब्जेक्ट पर ध्यान नहीं देते थे |यहां तक कि वे दूसरे सब्जेक्ट सी क्लास में भी मैथ के क्वेश्चन सॉल्व किया करते थे| जिसके कारण 11वीं की परीक्षा में मैथ सब्जेक्ट को छोड़कर बाकी सभी सब्जेक्ट में फेल हो गए जिसकी वजह से उनको स्कॉलरशिप मिलनी बंध गई |एक तो घर की आर्थिक स्थिति खराब और ऊपर से स्कॉलरशिप मिल बंद हो गई थी |
श्रीनिवासन रामानुजन का की आर्थिक स्थिति
रामानुजन के लिए यह एक बहुत मुश्किल समय था| उसके बाद घर की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए उन्होंने मैथ की ट्यूशन लेनी शुरू कर दी |कुछ समय बाद में रामानुजन ने 12th क्लास की एग्जाम दी और उसमें भी फेल हो गए जिसके बाद उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया| स्कूल छोड़ने के बाद अगले 5 साल का समय रामानुजन के लिए बहुत कठिन था , उनके पास ना कोई जॉब थी और ना ही किसी के साथ काम करके अपनी रिसर्च को बेहतर करने का मौका लेकिन ईश्वर पर अटूट विश्वास और गणित के प्रति उनकी लगन ने उन्हें कहीं रुकने नहीं दिया और इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने अकेले ही अपने रिसर्च को जारी रखा 1908 में रामानुजन के माता-पिता ने उनकी शादी जानकी की नाम की एक लड़की से कर दी |शादी के बाद उनकी पत्नी की भी रिस्पांसिबिलिटी उन पर आ गई थी और इसीलिए सब कुछ भूल कर मैथ की रिसर्च में लगे रहना संभव नहीं था इसीलिए वह जॉब की तलाश में मद्रास आ गए लेकिन 12 th की परीक्षा पास ना होने की वजह से रामानुजन को जॉब नहीं मिली और उसी बीच तबीयत बहुत बिगड़ गई जिस से वापस उन्हें घर लौट कर आना पड़ा तबीयत ठीक होने के बाद रामानुजन वापस मद्रास आए और फिर से जॉब की तलाश शुरू कर दी |
श्रीनिवासन रामानुजन की स्कॉलरशिप
किसी के कहने पर वहां के डिप्टी कलेक्टर श्री. बी.रामास्वामी अय्यर से मिले ,वे गणित के बहुत बड़े विद्वान थे और आखिरकार उन्होंने रामानुजन की प्रतिभा को पहचाना और जिला अधिकारी श्री रामचंद्र राव से कहकर उन्हें ₹25 हर महीने की स्कॉलरशिप दिलवाई | इसकी मदद से Srinivasa Ramanujan में मद्रास 1 साल रहते हुए अपना पहला रिसर्च पब्लिश्ड किया ,जिसका टाइटल था ”प्रॉपर्टीज ऑफ बरनौली नंबर” अपना पहला रिसर्च पब्लिश्ड करने के बाद उन्होंने मद्रास कोर्ट में क्लर्क की जॉब कर ली और इस जॉब में काम का कुछ ज्यादा नहीं था और यहां उन्हें अपनी maths के लिए भी समय मिल जाता था| रामानुजन रात भर जाग-जाग कर नए-नए गणित के फार्मूला लिखा करते थे और फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद ऑफिस निकल जाया करते थे|
रामानुजन का रिसर्च ऐसे लेवल पर आ गया था कि बिना किसी अन्य गणितज्ञ की सहायता से काम को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता था| इसी समय रामानुजन ने अपने थ्योरी के कुछ फार्मूला को एक प्रोफेसर को दिखाया और उनसे सहायता मांगी तो उनका ध्यान लंदन के प्रोफेसर हार्डी की तरफ गया |हार्डी उस time विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञ मे से एक थे | वे रामानुजन के साथ काम करने के लिए भी तैयार हो गए और आर्थिक सहायता करते हुए उन्हें इंग्लैंड बुला लिया |रामानुजन और प्रोफेसर हार्डी कि यह दोस्ती दोनों के लिए ही बहुत अच्छी साबित हुई और उन्होंने मिलकर बहुत सारी खोज की उसी बीच रामानुजन की एक विशेष खोज की वजह से कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने उन्हें B.A की उपाधि दी |
रामानुजन की अंतिम समय:-
इसके बाद वहां रामानुजन को रॉयल सोसाइटी का फेलो बनाया गया| ऐसे समय में जब भारत गुलामी बिजी रहा था तब एक अश्वेत व्यक्ति को रॉयल सोसायटी की सदस्यता मिलना बहुत बड़ी बात थी कुछ समय के बाद इंग्लैंड में भी रामानुजन की तबीयत बहुत खराब हो गई और जांच कराने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें टीवी हो गया है उस समय टीवी की बीमारी की कोई दवा नहीं होती थी अंत में डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें भारत वापस लौटना पड़ा क्योंकि इंग्लैंड का मौसम उनकी तबीयत के लिए अच्छा नहीं था लेकिन भारत लौटने पर भी स्वास्थ्य में रामानुजन का साथ नहीं दिया और हालत और गंभीर होती चली गई आखिरकार अपना पूरा जीवन गणित को समर्पित करने के बाद 26 अप्रैल 1920 को 33 साल की उम्र में रामानुजन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया|
इस महान गणितज्ञ की याद में प्रत्येक वर्ष के जन्मदिन के अवसर पर ‘नेशनल मैथमेटिक्स डे ‘रूप में मनाया जाता है|
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FAQ:-
- Srinivasa Ramanujan का जन्म——- 22/12/1887
- गणितज्ञ की याद में प्रत्येक वर्ष के जन्मदिन के अवसर पर —‘नेशनल मैथमेटिक्स डे ‘रूप में मनाया जाता है|