प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
भारतीय किसानों की वित्तीय समस्याओं के समाधान तथा उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने में सहायता पहुंचाने हेतु 1 फरवरी, 2019 को संसद में प्रस्तुत अंतरिम बजट 2019-20 में ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि‘ (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi: PM-KISAN) योजना की घोषणा की गई। इसी घोषणा के परिपालन में 24 फरवरी, 2019 को गोरखपुर (उ.प्र.) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का औपचारिक शुभारंभ किया गया।उद्देश्य:-
- देश के छोटे और सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष आय संबंधी सहायता उपलब्ध कराना।
- किसानों की आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करने हेतु पूरक आय उपलब्ध कराना।
- किसानों को साहूकारों के चंगुल में पढ़ने से बचाना, अपनी कृषि पद्धतियों के आधुनिकीकरण के लिए सक्षम बनाना तथा किसानों को सम्मानजनक जीवन-यापन में सहायता प्रदान करना।
योजना की पात्रता:-
इस योजना में लघु एवं सीमांत किसान परिवारों को शामिल किया गया है। परिवार की परिभाषा में पति-पत्नी तथा 18 वर्ष से कम आयु के अवयस्क बच्चे शामिल होंगे।
इस योजना की शुरुआत में ऐसे कृषक परिवारों को ही शामिल किया गया था, जिनके पास अधिकतम 2 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि थी, परंतु 31 मई, 2019 को नवगठित सरकार की पहली मंत्रिमंडलीय बैठक में 2 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की सीमा को समाप्त कर दिया गया, जिससे अब इस योजना में सभी किसान शामिल होंगे।
प्रमुख तथ्य:-
- यह योजना । दिसंबर, 2018 से लागू मानी जाएगी तथा पात्र कृषक परिवारों को यह लाभ इसी तिथि के पश्चात देय होगा।
- 1 फरवरी, 2019 के पश्चात किसी काश्तकार की मृत्यु के उपरांत उनके उत्तराधिकारी यदि लघु/सीमांत श्रेणी के हैं, तो वे भी योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे।
- पात्र लघु एवं सीमांत कृषक परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रुपये की आर्थिक सहायता आधार से जुड़े बैंक खातों में प्रत्यक्षतः, चार-चार माह की तीन किस्तों (प्रति किस्त 2000 रु.) में उपलब्ध कराया जाएगा।
- वर्ष 2015-16 में हुई कृषि जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लघु एवं सीमांत कृषक परिवारों को चिह्नित किया जाएगा।
वित्तपोषण
यह शत-प्रतिशत केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है।वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।योजना क्रियान्वयन
- योजना की निगरानी हेतु कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत एक परियोजना प्रबंधन इकाई स्थापित की जाएगी।
- यह इकाई एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के अधीन कार्य करेगी, जो कि योजना के क्रियान्वयन के साथ-साथ इसके प्रचार-प्रसार हेतु भी उत्तरदायी होगी।
- राज्य व जिला स्तर पर भी इसी प्रकार की व्यवस्था की जाएगी।
- केंद्र स्तर पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति की व्यवस्था भी की गई है।
योजना की प्रगति
22 फरवरी, 2022 तक इस योजना में कुल लगभग 11.78 करोड किसानों को लाभ प्रदान किया गया है और भारत में इस योजना के पात्र लाभार्थियों को विभिन्न किस्तों में 1.82 लाख करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, जिसमें से 1.29 लाख करोड़ रुपये कोविड-19 महामारी की अवधि के दौरान जारी किए गए हैं।विश्लेषण
हालांकि इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को दी जाने वाली राशि कम है, क्योंकि यदि 6000 रु. की वार्षिक राशि को महीने के हिसाब से देखें तो यह मात्र 500 रु. प्रति माह है और बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह राशि ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ के समान है। परंतु यदि इस सहायता राशि का किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों का सूक्ष्म विश्लेषण किया जाए, तो कृषकों को इस योजना के माध्यम से जहां एक निश्चित आय प्राप्त होगी, वहीं फसल कटाई के पूर्व कृषि में छोटे-मोटे निवेश हेतु पूरक आय भी उपलब्ध होगी, जिसके लिए अब तक किसानों को साहूकारों के द्वारा ऊंची ब्याज दर पर दिए जाने वाले ऋण पर निर्भर रहना पड़ता था। अतः यह योजना किसानों को सम्मान के साथ जीवन जीने के लक्ष्य को भी अंशतः पूरा करती दिख रही है।महत्वपूर्ण तथ्य
- एक अनुमान (वर्ष 2011 की जनगणना) के मुताबिक, आज भी देश का लगभग 55 प्रतिशत कार्यबल कृषि कार्य और संबद्ध क्षेत्र की गतिविधियों में संलग्न है।
- आर्थिक समीक्षा 2021-22 के अनुसार, चालू कीमतों पर जीवीए में कृषि और संबद्ध क्षेत्र का हिस्सा वर्ष 2014-15 के 18.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2020-21 (अ.अ.) में 20.2 प्रतिशत हो गया।
- वर्ष 2020-21 में (चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार) देश में कुल खाद्यान्न का उत्पादन 308.6 मिलियन टन रहा, जो वर्ष 2019-20 के 297.5 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन से 11.1 मिलियन टन अधिक था।
- कृषि अवसंरचना निधि की औपचारिक रूप से शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा 9 अगस्त, 2020 को की गई थी, जो वर्ष 2020-21 से लेकर वर्ष 2029-30 तक जारी रहेगी