वैदिक काल Upsc वैदिक सभ्यता
पूर्व वैदिक काल (1500 ईसा पूर्व- 1000 ईसा पूर्व)
सिंधु सभ्यता के विपरीत आर्य सभ्यता एक ग्रामीण सभ्यता थी| यह पितृ प्रधान था | समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार (कूल) थी,जिसका मुखिया कुलप कहलाता था |इस काल में ज्ञान का एक मात्र स्रोत, ऋगवेद है। ऋगवेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।वेदों के साथ प्रारंभ करते हुए इसकी व्याख्या की गई थी, लिखा नहीं गया था। वैदिक साहित्य की रचना संस्कृत भाषा में की गई है। इन्हें मौखिक विधियों से पढ़ाया जाता था इसीलिए इन्हें श्रुति (सुना) और स्मृति (याद किया) कहा जाता था। लेकिन बाद में लिपियों के अविष्कार के बाद लेखन में इनका कम प्रयोग किया जाने लगा।
1) आर्यों का परिचय:-
आर्यो को उनके समान भारतीय-यूरोपीय भाषा परिवारों के रूप में जाना जाता था, जो कि यूरेशियन क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रसारित थे।गांव से संबंधित होने के कारण चरवाहा मुख्य व्यवसाय था जब कि कृषि कार्य द्वितीयक व्यवसाय के रूप में था। चरवाहे के जीवन में घोड़ा मुख्य भूमिका निभाता था, जिसे काले समुद्र के पास पाला जाता था।इतिहास में आर्यों की पहचान कई विशेषताओं के साथ जोड़ी जाती है जो है:-
👉घोड़े का प्रयोग
👉युद्ध रथ का प्रयोग
👉यज्ञ वेदों का प्रयोग
👉दाह संस्कार करना
👉स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग करना
👉सोमरस का पान करना
👉आरे वाले पहिए का प्रयोग करना
आर्यों का मूल निवास स्थान:-
एक वृहद क्षेत्र पर फैले आर्य मूल रूप से कहां के रहने वाले थे यथार्थ उनका वास्तविक कहां था? इतिहास मे विद्वान इस पर एकमत नहीं रहते हैं| कई विद्वानों ने अलग-अलग मत दिए हैं जो निम्न:-
स्थान विद्वान
जर्मनी पेंका
तिब्बत दयानंद सरस्वती
उत्तरी ध्रुव बाल गंगाधर तिलक
विलियम जॉन्स यूरोप
मध्य एशिया मैक्समूलर
👉मैक्स मूलर इतिहास सबसे अधिक मान्यता इसी को प्राप्त है क्योंकि मध्य एशिया कजाकिस्तान की संस्कृति में घोड़े, यज्ञ, वेदो, युद्ध रथ के प्रयोग के सबसे पुराने साक्ष्य अतः इसे सबसे वैज्ञानिक मत माना जाता है|
👉आर्य 1500 ईसा पूर्व के दौरान भारत में आये और पूर्वी अफगानिस्तान, एन.डब्ल्यू.एफ.पी, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किनारों के पास बस गए। इस पूरे क्षेत्र को सात नदियों की धरती के नाम से जाना जाता था।
ऋग्वेद के परिचय:-
👉ऋग्वेद मानव की प्रथम रचना मानी जाती है ऋग्वेद देवताओं स्तुति वंदना में लिखा गया ग्रंथ है| पुजारी परिवार द्वारा संग्रहित प्रार्थनाएं हैं इनमें कुल 1028 मंत्र है यह लगभग 300 से ऊपर भारतीय यूरोपीय भाषाओं में हैं |यह 10 मंडलों में बैठी हुई पुस्तक है ,जिनमें 2 से लेकर 7 तक सर्वाधिक प्राचीन माना जाता है
👉ऋग्वेद में मंत्रों का पाठ करने वाला पुरोहित होतृ कहलाता है|
👉पद –आर्य, ऋगवेद में 36 बार आया है जो आर्यों को सांस्कृतिक समुदाय के रूप में दर्शाता है।
ऋग्वेद के मंडल:-
मंडल वर्णन
प्रथम – इनमें जुवे का उल्लेख है|
द्वितीय – कृषि क्रियाओं पर बल दिया गया|
तृतीय – गायत्री मंत्र इसी में मिलता है|
चतुर्थ – यहां भी कृषि संबंधित कार्य|
पंचम – अग्नि तथा घोड़े की महिमा का वर्णन|
षस्टम – हरियू पिया शब्द की चर्चा है|
सप्तम – वरुण की पूजा तथा राजाओं के युद्ध की चर्चा|
अष्टम – इनमें अनाथ लोगों की चर्चा है|
नवम – इनमें सु का उल्लेख है|
दशम – इतिहास के लिए यह मंडल महत्वपूर्ण है इसमें एकतावाद ,बहुदेवतावाद तथा सर्वेश्वरवाद इन सब की चर्चा मिलती है | इसमे विवाह सूक्त तथा विवाह को संस्कार माना जाता है| सरस्वती वंदना की चर्चा है| पुरुष सूक्त मे पहली बार वर्ण की व्यवस्था की चर्चा आई है जिसमें धार्मिक आधार पर मानव का सामाजिक विभाजन किया गया है|
पूर्व वैदिक काल में ऋगवैदिक नदियां:-
सिंधु को ऋगवेद में प्रदर्शित किया गया है। सिंधु नदी का उपयोग सबसे अधिक बार किया गया है, जब कि सरस्वती अथवा नदीतरण ऋगवेद की नदियों में से सर्वश्रेष्ठ है।
ऋगवैदिक नाम आधुनिक नाम
सिंधु सिंध
वितस्ता झेलम
असिकनी चिनाब
परूशनी रावी
विपास व्यास
सुतुद्री सतलुज
सरस्वती घग्गर
कुंभा काबुल
सदानीरा गंडक
2) पूर्व वैदिक काल में जनजातीय युद्ध :-
👉आर्यो ने भारत और पश्चिमी एशिया में पहली बार घोड़ों से चलने वाले रथों की शुरूआत की। वे शस्त्रों और वर्मनों से पूरी तरह सुसज्जित रहते थे। जिसने सभी जगहों पर उनकी जीत की सफलता का मार्ग निश्चित किया।
👉आर्यों को पांच कबीले ( जन) में बांटा गया, जिन्हें पंचजन कहा जाता था, वे आपस में लड़ते रहे।
👉दस राजाओं की युद्धभूमि अथवा दसराजन युद्ध थी इसका उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में है, यह युद्ध भारत के राजा सुदास के खिलाफ पांच आर्यों और पांच गैर-आर्यों के बीच लड़ा गया था जिसमें भारत जीता था। वे बाद में पुरूस के साथ जुड़ गए और एक नईं जनजाति स्थापित की जिसका नाम कुरूस था जो गंगा के ऊपरी मैदानी भागों पर शासन करती थी।
👉कुरु जनों ने पांचालो के साथ मिलकर उच्च गंगा मैदान में अपना संयुक्त राज्य स्थापित किया|
3) पूर्व वैदिक काल में भौतिक जीवन :-
👉उनकी सफलता का श्रेय रथों, घोड़ों और कांसे के बने बेहतर हथियारों के प्रयोग को जाता है। उन्होंने तीली वाले पहिये का अविष्कार भी किया।
👉उन्हें कृषि का अच्छा ज्ञान था जिसका प्रयोग मुख्य रूप से चारे का उत्पादन करने में किया जाता था। ऋगवेद में यह बताया गया है कि धार-फार, लकड़ी का बना होता था।
👉वे गायों के लिए युद्ध करते थे। गायों को ढूंढने को गविष्ठी कहा जाता था। उनके जीवन में जमीन महत्वपूर्ण नहीं थी।
👉आर्य शहरों में कभी नहीं रहे।
4) पूर्व वैदिक काल में जनजातीय राजव्यवस्था :-
👉ऋग्वेद में चार प्रकार के प्रजातांत्रिक परिषदों की चर्चा है- सभा, समिति, विदाथा और गण
👉दो सबसे महत्वपूर्ण विधान सभाएं:- 1.सभा और 2.समिति थी। सभा और विदाथा में महिलाएं शामिल होती थीं।
👉बली- लोगों के द्वारा अपनी इच्छा से दिया जाता था|
👉राजा ने एक स्थाई सेना नहीं रखी थी। यहां पर सरकार की जनजातीय व्यवस्था थी जिसमें सैन्य तत्व एक तंतु समान थे। सैन्य कार्य भिन्न-भिन्न जनजातियों के द्वारा किया जाता था जिन्हें व्रत, गण, ग्राम, सर्धा कहा जाता था।
पूर्व वैदिक काल में महत्वपूर्ण पद:-
👉जनजातीय प्रमुख- राजन – राजा का चुनाव समिति के द्वारा किया जाता था। राजा वंशानुगत था|
👉पुरोहित – महायाजक – विश्वामित्र ने गयत्री मंत्र की रचना की थी।
👉सेनानी – सेना प्रमुख – यह भाले, कुल्हाड़ी और तलवार का प्रयोग करता था|
👉व्रजपति – वह अधिकारी जिसका बड़े भू-भाग पर वर्चस्व होता था। यह युद्धक समूहों के प्रमुखों जिन्हें ग्रामीणों से युद्ध भूमि कहा जाता था, का प्रतिनिधित्व करता था।
कर अधिकारी और न्याय प्रशासनिक अधिकारी के बारे में कोई जानकारी नहीं नील सकी है।
5) पूर्व वैदिक काल में जनजाति और परिवार:-
👉व्यक्ति की पहचान उसके कुल या गोत्र से होती थी| लोगों की सबसे अधिक आस्था अपने अपने कबीले के प्रति रहती थी जिसे जन कहां जाता था|
👉प्राथमिक राजभक्ति, जन अथवा जनजाति को दी गई थी। ऋगवेद में लगभग 275 बार जन शब्द का प्रयोग किया गया है। जनजातियों के एक अन्य शब्द विस है जिसका ऋगवेद में 170 बार वर्णन किया गया है।
👉ग्राम, छोटी जनजातीय इकाईयां होती थीं। ग्रामों के बीच के संघर्ष को समग्राम कहा जाता था।
👉कुल, वह पद जो परिवार के लिए प्रयोग किया जाता था उसका बहुत कम प्रयोग किया गया है। परिवार को गृह के द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
👉भाईचारा, सामाजिक ढांचे का आधार था।
👉पितृात्मक समाज और पुत्र का जन्म, युद्ध लड़ने की इच्छा के सूचक थे।
👉महिलाएं विधानसभाओं में शामिल हो सकती थीं, त्याग कर सकती थीं और भजन गाती थीं।कईं पति रखने वाली महिलाएं, महिला पुर्नविवाह और लीवरेट पाये गए थे |
👉बाल विवाह का प्रचलन नहीं था।
6) पूर्व वैदिक काल में सामाजिक विभाजन:-
👉 वर्ण शब्द का प्रयोग रंग अर्थ में होता था ,ऐसा प्रतीत होता है कि आर्य भाषा -भाषी गौर वर्ण के थे और मूलवासी काले रंग के थे|
👉दास और दसयुस से गुलामों और शूद्रों के रूप में व्यवहार किया जाता था। ऋगवेद में आर्य वर्ण और दस वर्ण का वर्णन किया गया है।
👉व्यवसाय के आधार पर चार वर्गों- योद्धा, पुरोहित, सामान्य लोग और शूद्र में वर्गीकृत किया गया है लेकिन यह वर्गीकरण ज्यादा गहन नहीं था।
7) पूर्व वैदिक काल में ऋगवैदिक देवता:-
👉बोगाजकोई अभिलेख ने अनेक वैदिक देवताओं (मित्र, वरुण, इंद्र ,नासत्य) वर्णन किया गया है इन देवताओं का उल्लेख ऋग्वेद में भी किया गया है|
👉प्रकृति की पूजा की जाती थी।
पूर्व वैदिक काल में विभिन्न देवताओं की विशेषताएं-
👉ऋग्वेद में सबसे अधिक महत्वपूर्ण देवता इंद्र है जिसे पुरंदर अर्थात किले को तोड़ने वाला कहा गया है| इंद्र पर 250 सूक्त हैं, इंद्र को वर्षा का देवता माना गया है|
👉अग्नि का दूसरा स्थान है इस पर 200 सूक्त हैं अग्नि की भूमिका जलाने, खाना पकाने आदि कार्यों में थी|
👉तीसरा स्थान वरुण का है जल या समुद्र का देवता माना गया है |इसे प्राकृतिक संतुलन का रक्षक कहा गया है|
👉सोम – पौधों के देवता को कहते हैं|
👉मारूत – आंधी के देवता के रूप में जाने जाते थे|
👉अदिति और ऊषा – देवियां – जो प्रभात को दर्शाती है|
👉उपासना की मुख्य रीति—- स्तुति पाठ करना और यज्ञ बली अर्पित करना था |स्तुति पाठ पर अधिक बल दिया गया था|
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FAQ:-
- Q आर्यों का भारत आगमन कब हुआ?—- 1500 पूर्व से पहले
- Q आर्य पहले कहां बसे?— पंजाब एवं अफगानिस्तान
- Q आर्य लोग भारत आए थे?—- मध्य एशिया
- Q पुरंदर किस देवता को कहा जाता था?—-इंद्र को
- Q ऋग्वेद का कौन सा मंडल सोम को समर्पित है?—– नवा मंडल
- Q आर्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है?—- श्रेष्ठ या कुलीन
- Q ऋग्वेदिक आर्यों का मुख्य व्यवसाय था?—– पशुपालन
- Q वैदिक धर्म किसकी उपासना करते है?—— प्रकृति